लेखनी कहानी -17-Oct-2022 होलिकोत्सव (भाग 13)
शीर्षक :- होलिकोत्सव
हमारे देश में अनेक त्योहार मनाये जाते है जैसे दीपावली होली जन्माष्ठमी रक्षाबन्धन दशहरा और भी बहुतसे त्योहार मनाये जाते है। बैसे भी हमारा देश त्योहारौ का देश है यहाँ पर हर रोज कोई न कोई त्योहार होता ही है।
उनमें से होली एक ऐसा रंगबिरंगा त्योहार है, जिसेहर धर्म के लोग पूरे उत्साह और मस्ती के साथ मनाते हैं। प्यार भरे रंगों से सजा यह पर्व हर धर्म, संप्रदाय, जाति के बंधन खोलकर भाई-चारे का संदेश देता है। यह त्योहार फाल्गुन की पूर्णमासी को मनाते हैं।
होली का त्योहार सभी लोग मनाते हैं। इस दिन सारे लोग अपने पुराने गिले-शिकवे भूल कर एक दूसरे के गले लगते हैं और एक दूजे को गुलाल लगाते हैं। बच्चे और युवा रंगों से खेलते हैं। फाल्गुन मास की पूर्णिमा को यह त्योहार मनाया जाता है। होली के साथ अनेक कथाएं जुड़ीं हैं। होली मनाने के एक रात पहले होली को जलाया जाता है। इसके पीछे एक लोकप्रिय पौराणिक कथा है।
भक्त प्रह्लाद के पिता हरिण्यकश्यप स्वयं को भगवान मानते थे। वह विष्णु के विरोधी थे जबकि प्रह्लाद विष्णु भक्त थे। उन्होंने प्रह्लाद को विष्णु भक्ति करने से रोका जब वह नहीं माने तो उन्होंने प्रह्लाद को मारने का प्रयास किया।
प्रह्लाद के पिता उसे मारने के उपाय खोज रहे थे। उसके पिता ने आखर अपनी बहन होलिका से मदद मांगी। होलिका को आग में न जलने का वरदान प्राप्त था। होलिका अपने भाई की सहायता करने के लिए तैयार हो गई। होलिका प्रह्लाद को लेकर चिता में जा बैठी परन्तु विष्णु की कृपा से प्रह्लाद सुरक्षित रहे और होलिका जल कर भस्म हो गई।
इस कथा से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें किसी का बुरा मत सोचना चाहिए। यह कथा इस बात का संकेत करती है की बुराई पर अच्छाई की जीत अवश्य होती है। आज भी पूर्णिमा को होली जलाते हैं, और अगले दिन सब लोग एक दूसरे पर गुलाल, अबीर और तरह-तरह के रंग डालते हैं। यह त्योहार रंगों का त्योहार है।
होलिका जलाने के बाद लोग आपस में गले मिलते है और एक दूसरेत्रको गुलाल व रंग लगाकर बधाई संदेश देते है।
इस दिन लोग प्रात:काल उठकर रंगों को लेकर अपने नाते-रिश्तेदारों व मित्रों के घर जाते हैं और उनके साथ जमकर होली खेलते हैं। बच्चों के लिए तो यह त्योहार विशेष महत्व रखता है। वह एक दिन पहले से ही बाजार से अपने लिए तरह-तरह की पिचकारियां व गुब्बारे लाते हैं। बच्चे गुब्बारों व पिचकारी से अपने मित्रों के साथ होली का आनंद उठाते हैं।
सभी लोग बैर-भाव भूलकर एक-दूसरे से परस्पर गले मिलते हैं। घरों में औरतें एक दिन पहले से ही मिठाई, गुझिया आदि बनाती हैं व अपने पास-पड़ोस में आपस में बांटती हैं। कई लोग होली की टोली बनाकर निकलते हैं उन्हें हुरियारे कहते हैं।
ब्रज की लट्ठमार होली बहुत प्रसिद्ध है ब्रज की होली, मथुरा की होली, वृंदावन की होली, बरसाने की होली, काशी की होली पूरे भारत में मशहूर है।
हमें किसी के ऊपर रंग डालने से पहले उसकी क्वालिटी अवश्य देखनी चाहिए । कैमीकल वाले रंग किसी पर डालना हमें महंगा साबित होसकता है। आजकल अच्छी क्वॉलिटी के रंगों का प्रयोग नहीं होता और त्वचा को नुकसान पहुंचाने वाले रंग खेले जाते हैं। यह सरासर गलत है। इस मनभावन त्योहार पर रासायनिक लेप व नशे आदि से दूर रहना चाहिए। बच्चों को भी सावधानी रखनी चाहिए।
बच्चों को बड़ों की निगरानी में ही होली खेलना चाहिए। दूर से गुब्बारे फेंकने से आंखों में घाव भी हो सकता है। रंगों को भी आंखों और अन्य अंदरूनी अंगों में जाने से रोकना चाहिए। यह मस्ती भरा पर्व मिलजुल कर मनाया जाता है।
होली का त्योहार रंग व मस्ती का त्योहार माना जाता है इस दिन बूढे भडे सभी पर मस्ती की जवानी चढ़ जाती है। सभी एक दूसरे को रंग डालना चाहते है।
30 Days Festivsl Competition हेतु रचना।
नरेश शर्मा " पचौरी "
29/10/2022
Palak chopra
03-Nov-2022 03:39 PM
Shandar 🌸
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Khan
01-Nov-2022 12:34 PM
Bahut khoob 😊🌸
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shweta soni
31-Oct-2022 04:12 PM
बेहतरीन रचना
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